क्या तीन तलाक को बैन कर मोदी सरकार ने सही किया ? क्या अब भी आप भगवा के साथ है ?
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तीन तलाक़ पर ये बैन भारत में समान नागरिक संहिता [Common
Civil Code] की और बढे कदमो में सबसे
बड़ा कदम और एक मील का पत्थर साबित होने वाला है.अभी आगे और भी पत्थर पार करने हैं, जैसे कि धारा 70 , 35 A और आखिरी मंज़िल है अयोध्या में भव्य राम मंदिर.बहुत हुआ
सेकेण्ड क्लास सिटीजन की तरह व्यवहार,
बार –
बार, हर बार, सिर्फ
और सिर्फ मोदी सरकार.मुसलमानों में प्रचलित एक बार में तीन तलाक की वैधानिकता पर
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने एक साथ तीन तलाक को
असंवैधानिक करार देते हुए तीन तलाक पर 6 महीने तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है
कि इस मामले में वह संसद में कानून बनाए।
क्या तीन तलाक को बैन कर मोदी सरकार ने सही किया ? क्या अब भी आप भगवा के साथ है ?
क्या कहा कोर्ट ने
एक साथ तीन तलाक असंवैधानिक। सुप्रीम कोर्ट ने तीन – दो के बहुमत से सुनाया फ़ैसला।
तीन तलाक पर 6 महीने
की रोक।
मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने कहा ये 1400 साल पुरानी प्रथा और मुस्लिम धर्म का अभिन्न हिस्सा। कोर्ट
नहीं कर सकता रद। जस्टिस कुरियन जोसेफ़, जस्टिस आरएएफ़ नारिमन और जस्टिस यूयू ललित ने एक बार मे तीन
तलाक को असंवैधानिक ठहराया और इसे खारिज कर दिया।
तीनों जजों ने 3 तलाक
को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करार दिया। जजों ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 14 समानता का अधिकार देता है।
जस्टिस नजीर और चीफ जस्टिस खेहर ने नहीं माना था असंवैधानिक। चीफ जस्टिस जेएस
खेहर और जस्टिस नजीर ने अल्पमत में दिए फैसले में कहा कि तीन तलाक धार्मिक
प्रैक्टिस है, इसलिए
कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा। दोनों ने कहा कि तीन तलाक पर छह महीने का स्टे लगाया
जाना चाहिए, इस बीच
में सरकार कानून बना ले और अगर छह महीने में कानून नहीं बनता है तो स्टे जारी
रहेगा। हालांकि, दोनों
जजों ने माना कि यह पाप है।
अगर 6 महीने के अंदर तीन तलाक पर कानून नहीं लाया जाता है तो तीन
तलाक पर रोक जारी रहेगी।
वहीं कोर्ट के निर्णय पर सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय महिला
और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में अच्छा
फैसला है।
आपको बता दें कि इस मामले की शुरुआत तब हुई थी जब उत्तराखंड के काशीपुर की
शायरा बानो ने पिछले साल सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर तीन तलाक और निकाह हलाला
के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी थी। कोर्ट के फैसले से पहले तीन तलाक की
पीड़िता और याचिकाकर्ता शायरा बानो ने कहा कि मुझे लगता है कि फैसला मेरे पक्ष में
आएगा। समय बदल गया है और एक कानून जरूर बनाया जाएगा।
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